रेडियो गपशप

.sm2-bar-ui { font-size: 16px; } .sm2-bar-ui .sm2-main-controls, .sm2-bar-ui .sm2-playlist-drawer { background-color: #2288cc; } .sm2-bar-ui .sm2-inline-texture { background: transparent; } HTML for these options:

शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

सी0 एस0 आई0 आर0 के स्थापना दिवस समारोह



सी0 एस0 आई0 आर0 के स्थापना दिवस के अवसर पर लखनऊ स्थित वैज्ञानिक संस्थान सी0 डी0 आर0 आई0, एन0 बी0 आर0 आई0, सीमैप तथा आई0 आई0 टी0 आर0 ने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए.
सीमैप( केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान ) लखनऊ ने आज अपने प्रांगण में सी0 एस0 आर0 आई0 स्थापना दिवस समारोह मनाया.
इस अवसर पर प्रोफेसर देवाशीष बनर्जी, (निदेशक, बाबा आमटे सेंटर फार पीपुल्स एम्पावरमेंट, बागली देवास, मध्य-प्रदेश) मुख्य अतिथि थे तथा समारोह की अध्यक्षता प्रो0 सी0 पी0 शर्मा (पूर्व विभागाध्यक्ष एवं डीन-विज्ञान संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय) ने की. अपने स्वागत भाषण में डा0 यू0 सी0 लवानिया, ( वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीमैप) ने संस्थान की उपलब्धियों एवं भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला.
मुख्य अतिथि डा० देवाशीष बनर्जी, बाबा आम्टे सेन्टर फार पीपुल्स इम्पावरमेंट ने सी० एस० आई० आर० स्थापना दिवस व्याख्यान देते हुए बताया कि समाज प्रगति सहयोग के लगभग दो दशक के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वॉटरशेड विकास खाद्य सुरक्षा और गरीबी उन्मूलन का भरोसेमंद तरीका है। इसका प्रमाण समाज प्रगति सहयोग उसकी 122 सहयोगी संस्थाओं का भारत के सबसे पिछडे 72 जिलों में किया गया कार्य है। इस समन्वित, परिस्थिति-अनुकूल प्रक्रिया में मिट्टी तथा जल संरक्षण के कार्यों को दीर्घकालीन कृषि के साथ जोडा जाता है। कृषि कार्यक्रम में रासायनिक कीटनाशक वर्जित है। अधिक से अधिक जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है। मिट्टी की गुणवत्ता उत्पादकता को बढावा तथा जैविक कीट प्रबंधन पर जोर दिया जाता है। कार्य के प्रभाव क्षेत्र में गुणात्मक वृद्धि हेतु बाबा आमटे लोक सशक्तिकरण केन्द्र की स्थापना एक आदिवासी गांव में 10 वर्ष पूर्व की गई। इस केन्द्र ने पिछले दशक में एक ग्रामीण विकास विद्यालय का काम किया है जिसके फलस्वरूप आज इस तरह के कार्य देश के सबसे पिछडे इलाकों में 10 लाख एकड जमीन पर चल रहे हैं और हाल ही में लागू रोजगार गारण्टी कानून के सफल कार्यान्वयन में मदद कर रहे हैं।
प्रो० सी० पी० शर्मा, पूर्व विभागाध्यक्ष, एवं डीन विज्ञान संकाय, लखनऊ विश्विद्यालय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों के शोध का क्षेत्र बडा विस्तृत क्षेत्र है तथा इन पौधों एवं इनके उत्पादों की घरेलू तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की काफी मांग है तथा वैज्ञानिक अपने शोध द्वारा ऐसी प्रौद्योगिकियों का विकास करे जो कि समाज के लिए लाभकारी हो।
प्रात: 11.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक सैकडों स्कूली बच्चों द्वारा संस्थान की विभिन्न प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया तथा संस्थान की विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों के बारे में वैज्ञानिकों से परिचर्चा की। राजस्थान से आये एक कृषक दल ने भी संस्थान आकर औषधीय पौधों की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त की।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा० ए०एच०ए० फारूकी ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और डा० अशोक कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
शाम को 5.00 बजे से 7.00 बजे तक सीमैप स्थित मानव उपवन में आम जनता द्वारा ज्ञान भ्रमण किया गया।

मंगलवार, 23 सितंबर 2008

लखनऊ पुस्तक-मेला



प्रत्येक वर्ष की भांति लखनऊ शहर में लगने वाला पुस्तक-मेला, इस वर्ष भी १९ सितम्बर से २८ सितम्बर '०८ तक स्थानीय बलरामपुर-गार्डन में शोभायमान है. इस छठे पुस्तक मेले में देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित प्रकाशक, पाठक-वर्ग को लुभाने शहर पधारे हुए हुए हैं.मौसम की नज़ाकत से यदि आप डर रहे हैं, तो घबराइये नहीं! 'वाटर-प्रूफ़' पंडाल की व्यवस्था आयोजकों ने कर रखी है जनाब!हाँ! यदि आप कोई झोला या बैग ले जाने की सोच रहे हैं तो थोड़ी असुविधा हो सकती है, क्योंकि आपकी तलाशी ली जाएगी. सुरक्षा कारणों से ये उपयुक्त हीन मानेंगे आप!भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, प्रकाशन विभाग-(सूचना एवं प्रकाशन मंत्रालय भारत सरकार), दिल्ली प्रेस, विली इंडिया, हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय-(भारत सरकार), वाणी प्रकाशन, 0 प्र0 हिन्दी संस्थान, 0 प्र0 उर्दू अकादमी जैसे नामी गिरामी प्रकाशक अपनी चुनिन्दा पुस्तकों को आपके लिए सजे बैठे हैं.एस0 बी0 आई0 का मोबाईल 0 टी0 एम0 वैन " कैश ऑन व्हील " पुस्तक-मेला के प्रवेश-द्वार पर आपकी सेवा में उपस्थित है, ताकि आपको कोई दिक़्कत हो

हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा अन्य भाषाओं में साहित्य के अतिरिक्त आध्यात्म, योग, पाक-कला, राजनीति, प्रबंधन, ज्योतिष विज्ञान, बाल अभिरुचि आदि विषयों पर ढेरों पुस्तकें आकर्षक छपाई, सुरुचिपूर्ण पृष्ठ सज्जा तथा चमकीले आवरण से आपको लुभाएगी यहाँ.
भूख लगे या दोस्तों से गप्पें मारनी हों तो चाय-कॉफी और खाने पीने की विभिन्न वस्तुओं के स्टाल भी मेले में मौजूद हैं.मेले में हर रोज़ कुछ ख़ास कार्यक्रम भी रखे गए हैं, जैसे ग़ज़ल-गायन, कवि सम्मलेन तथा प्रत्येक दिन- "लेखक से मिलिए" जिसमें आप सम्मानित लेखकों से सीधे सवाल पूछ सकते हैं. २२/ के कार्यक्रम में श्री मुद्राराक्षस तथा श्री मती रजनी गुप्त ने श्रोताओं के जबाब दिए, वहीं आज बारी थी -- शायर के0 के0 सिंह मयंक, मिर्जा हसन नासिर तथा बाल साहित्यकार एवं प्रसिद्ध ब्लागर ज़ाकिर अली रजनीश के.पाठकों के सवाल के जबाब में श्री मयंक तथा मिर्जा साहब ने ग़ज़ल लेखन की बारीकियों पर प्रकाश डाला. वहीं श्री रजनीश ने एक प्रश्न के जबाब में डार्विन के सिद्धांत का हवाला देते हुए कहा की जो बदलती परिस्थितियों के अनुरूप अपने आप में परिवर्तन लाते हैं वही अपना अस्तित्व बनाए रखने में कामयाब होते हैं. उन्होंने आज के आधुनिक माध्यमों जैसे इंटरनेट तथा ब्लाग लेखन को आने वाले दिनों में सफल दर्शाया.शाम का कवि सम्मलेन काफी पसंद किया गया.प्रकाशन विभाग, भारत सरकार --१९८९ तक की पुस्तकों पर ५०% की छूट दे रहा है, वहीं आकाशवाणी के स्टाल नं0 ८८ पर संगीत की दुर्लभ सीडीज़ पर २०% की छूट है. अंग्रेज़ी उपन्यास के प्रेमी देव बुक्स के स्टाल नं0 ९४-९५ पर अवश्य जाएँ, क्योंकि वहाँ आयातित नामचीन अंग्रेज़ी उपन्यास २०-२० रु0 में आपको मिल सकती हैं.इसके अलावा और भी हैं यहाँ बहुत कुछ.यदि आप लखनऊ में हैं तो मेरी सलाह है की आप पूरे परिवार तथा ख़ास कर बच्चों को लेकर यहाँ ज़रूर आएँ, यक़ीन मानी बहुत मज़ा आएगा इस पुस्तक मेले में!

शुक्रवार, 15 अगस्त 2008

स्वतंत्रता-दिवस समारोह

ख़ाके वतन को ओढ़ के सोईं जवानियाँ,
अपने
लहू से लिख कर ज़मी पर कहानियाँ ;

होगा
वतन आजाद लहू रंग लाएगा
,
तारीख़
में मिलेंगी हमारी कहानियाँ.

स्वतंत्रता दिवस की उजियारी भोर के साथ प्रकृति वर्षा की रिमझिम फुहारें लिए लखनऊ शहर को अपने आशीष से शिक्त कर रही थी. स्वतंत्रता के अमर बलिदानियों की कहानियों को दुहराने और उन्हें नमन करने का आख़िर दिन भी तो विशेष था.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित एतिहासिक विधान-सभा परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया था. पुष्प गुच्छ से अलंकृत प्रांगण मनमोहक वातावरण उपस्थित कर रहे थे. तिरंगे सदृश्य वसन की लम्बी चादरों से विधान-भवन की गुम्बदें शोभएमान हो रहें थीं. मौसम की भविष्यवाणियों को ध्यान में रखते हुए 'वाटर-प्रूफ़' पंडाल की व्यवस्था की गए थी. बढ़ती आतंकवादी घटनाओं की वजह से सुरक्षा के चाक-चौबंद इन्तज़ाम थे. वर्षा तथा अत्यधिक कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था के कारण यहाँ, पिछले वर्षों की तुलना में उपस्थिति कम थी. अधिकारियों, आमंत्रित अतिथियों, गण्यमान जनों तथा मीडिया सहकर्मियों के बीच प्रात: ठीक ९ बजे उत्तर-प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने जैसे हीं तिरंगा फ़हराया, पूरा प्रांगण राष्ट्रगान की स्वर-लहरियों से गूँज उठा.

पर ये क्या ध्वजारोहण के के समाया ये फुहारें भी थम सी गईं, मानो वो भी सावधान की मुद्रा में आ गई हो. ध्वजारोहण के तुरत बाद अपने उदबोधन में सुश्री मायावती ने शहीदों को याद करते हुए दलित नेताओं की प्रशंसा की और अपने भाषण को बड़ी चतुराई से अपने सरकार की उपलब्धियों की तरफ़ मोड़ दिया.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ४ पुलिस अधिकारियों को उनके विशिष्ट वीरता कार्यों के लिए पुलिस सेवा पदक प्रदान किया.

आज पूरे दिन शहर भर में उत्सव का सा माहौल छाया रहा. हर ओर से देश-भक्ति गीतों की स्वरलहरियाँ गूंजती रहीं. चौक-चौराहे, नुक्कड़-गलियों में जहाँ स्थानीय लोगों, दुकानदारों ने भी बड़े उत्साह से तिरंगा फ़हराया; मिठाईयां बाँटी. सरकारी भवनों के अलावा निजी संस्थानों तथा घरों पर भी तिरंगे के पताके तथा रंग-बिरंगे बल्बों से प्रकाशित किया गया. इस बार का स्वतंत्रता-दिवस पर्व शान्ति तथा उल्लास के साथ बीता समारोह

मेरी तरफ़ से आपको स्वतंत्रता-दिवस की ढेरों बधाईयाँ !